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सितंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्कूल की वो यादें और स्कूल का जीवन....

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 स्कूल की वो यादें और स्कूल का जीवन....   स्कूल का नाम सुनतेही सब पुराणी यादें ताज़ा हो जाती है। कितने भी साल गुजर जाए पर वो यादें हमेशा ताज़ा ही रहती है।स्कूल और वो स्कूल की यादें सबके जीवन का एक खास हिस्सा रहता है। कभी कभी वो स्कूल जाने वाले दोस्त जब अचानक मिल जाते है,तब स्कूल और स्कूल के वो दिन और स्कूल के टीचर, दोस्तों के साथ बिता हुआ वक्त, परीक्षा, पढ़ाई और वो गर्मी की छुट्टिया ये सब बाते याद करके कहीं खो जाते है।   मेरे स्कूल की इमारत बड़ी थी और उसके सामने एक बड़ासा खेल का मैदान था, उस मैदान में कबड्डी, खो खो, लंगड़ी, ऊँची छलांग, गोला फेंक जैसे कई खेल खेले जाते थे। स्कूल में प्रार्थना के बाद पठाई चालू होती थी। तभी छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास और संभाजी महाराज का इतिहास सुनने में बहुत मजा आता था और मन को बहुत शांति मिलती थी। १५ अगस्त और २६ जनवरी को हम मुख्य अतिथि के हस्ते हम लोग ये दोनों दिन पुरे जोश के साथ मनाते थे।   हमारे स्कूल में गणेश उत्सव भी मनाते थे। पुरे बैंड बाजा के साथ गणेशजीका आगमन हो...

पहिला सच्चा प्यार क्या होता हैं।

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  पहिला सच्चा प्यार क्या होता हैं।   ऐसा बोलते है की पहिला प्यार कभी भूल नहीं सकते। पर ये बात सच है, क्योंकि आप आपके जीवन का कौनसा भी पहिला अनुभव भूल नहीं सकते, जैसे की आपके कॉलेज का वो पहिला दिन, आपके काम का वो पहिला दिन, आपका पहिला इनाम, ये सब सिर्फ एक दिन की याद है, फिर भी आप उसे भूल नहीं सकते, तो वो पहिला प्यार आप कैसे भूल सकते है। वो पहिला प्यार जो एक खूबसूरत लम्हा होता है, एक ख़ुशी का एहसास होता है। बहुत सारी जीवन की यादें उसमे समाई होती है।  उसमे सिर्फ उन दोनों के बिच के वो हसीन पल रहते है।  जीवन में सबको पहिला प्यार होता है।  पर जरुरी नहीं है की उन दोनों में समंध रहना चाहिए। कभी कभी वो प्यार सिर्फ एक तरफ से ही रहता है।  जिसे देखकर वो पहिला प्यार होता है, उसकी जगह अपने जीवन मे, अपनी दिल के एक कोने में हमेशा रहती है। बहुत साल के बाद भी जब आप उस व्यक्ति को देखते है, तभी भी आपका दिल वैसा ही धड़कता है, जैसे उसको पहिली बार देखते ही धड़का था।   लड़की : तुम मुझसे कितना प्यार करते हो।  लड़का : बहुत सारा ....  लड़की : तुम मेर...

जीवन का अर्थ और उद्देश्य क्या है।

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 जीवन का अर्थ और उद्देश्य क्या है।  जीवन क्या है ? इसकी खोज हम सभी करते है।  बहुत सारी तकलीफ के बाद अपने को मनुष्य जीवन मिलता है।  हमारे जन्म से लेकर मृत्यु के बीच का कालावधी ही जीवन कहलता है। अपने आप को जीना ही जीवन हैं।  जो की हमें ईश्वर ने दिया हुआँ एक वरदान है।  जीवन खुद को पाना नहीं, खुद को बनाना ही जीवन है।  जीवन एक समन्दर है, जिसे डूबना आ गया उसे जीवन का रहस्य समज आ गया।   जीवन बहोत छोटा है, उसे फिजुल की बाते सोचकर बरबाद करने से अच्छा उसका आंनद लो।  जी चाहे उतना नाचो, जी चाहे उतना खाना खाओ, जी चाहे उतना गाओ, जी चाहे उतना घूमो।  ये सब आप करोगे, तब आपको जीवन की सुंदरता दिखाई देगी। आपका जीवन आपके हाथ मै ही होता है।  जीवन मिलता नहीं, उसे बनाना पड़ता है। मिलता है तो सिर्फ कोरा कागज, उसके ऊपर आप क्या लिखते हो, आप सुख के बारे में लिखते हो, की दुःख के बारे में, वो आपको जीवन बनाने के लिए निर्भर करता है।   इस दुनिया मै बहोत सारी चीजे है, जानने को, समझ ने को, महसूस करने को।  जीवन के अंतिम समय ...