स्कूल की वो यादें और स्कूल का जीवन....
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स्कूल की वो यादें और स्कूल का जीवन.... स्कूल का नाम सुनतेही सब पुराणी यादें ताज़ा हो जाती है। कितने भी साल गुजर जाए पर वो यादें हमेशा ताज़ा ही रहती है।स्कूल और वो स्कूल की यादें सबके जीवन का एक खास हिस्सा रहता है। कभी कभी वो स्कूल जाने वाले दोस्त जब अचानक मिल जाते है,तब स्कूल और स्कूल के वो दिन और स्कूल के टीचर, दोस्तों के साथ बिता हुआ वक्त, परीक्षा, पढ़ाई और वो गर्मी की छुट्टिया ये सब बाते याद करके कहीं खो जाते है। मेरे स्कूल की इमारत बड़ी थी और उसके सामने एक बड़ासा खेल का मैदान था, उस मैदान में कबड्डी, खो खो, लंगड़ी, ऊँची छलांग, गोला फेंक जैसे कई खेल खेले जाते थे। स्कूल में प्रार्थना के बाद पठाई चालू होती थी। तभी छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास और संभाजी महाराज का इतिहास सुनने में बहुत मजा आता था और मन को बहुत शांति मिलती थी। १५ अगस्त और २६ जनवरी को हम मुख्य अतिथि के हस्ते हम लोग ये दोनों दिन पुरे जोश के साथ मनाते थे। हमारे स्कूल में गणेश उत्सव भी मनाते थे। पुरे बैंड बाजा के साथ गणेशजीका आगमन हो...