वास्तव में जीवन एक यात्रा हैं।

वास्तव में जीवन एक यात्रा हैं। 

जीवन में हमेशा सुगंध भरे। जब हम जीवन में सुगंध भरने की बात कर रहे हैं तो इसका मतलब हमारे जीवन में दुर्गंध भी हैं।  सब लोगों के जीवन में ये दुर्गंध  मन में है।  स्वार्थ, अहंकार, कृपणता  इसे छोड़कर परोपकार और सहयोगी भावना, विनम्रता तथा उदारता को अपने मन में उतारने पर पुरे जीवन में सुगंध ही सुगंध हो जाएगा।  ऐसी सुगंध जिसे सारा संसार भर जाएगा।  

जीवन में सुगंध लाने के लिए अपने मन को निचे दिए गए तरिके से बदल देना चाहिए।

१) पहिले खुद में अच्छे गुणों का विकास करे। 

२) सत्कर्मो को जीवन में प्राथमिकता दे।  

३) खाली समय जिसमे आप कोई भी शारीरिक काम नहीं कर रहे हो, उस समय कोई मधुर संगीत, कोई पुराणा मनपसंद गाना अथवा कोई भजन और कोई भगवान् का कल्याणकारी मंत्र गुनगुनाते रहें। इससे हमारी मन की नकारात्मक शक्तियाँ चली जाती हैं। 

४) द्वेष, वैर, क्रोध के विषय पर बिलकुल भी चिंता न करें। 

५) अपनी जीवन शैली को हमेशा प्राकृतिक रहने दो।  

६) वक्त का हमेशा पूरा ध्यान रखे। वक्त व्यर्थ न जाने दे और प्रत्येक कार्य अपने प्रॉपर समय पर करे, जैसे की खाना खाना, सुबह उठना, शरीर को जितनी चाहिए होती है उतनी नींद जरूर लेना, मैथुन ये कार्य भी समय पर होना चाहिए। 

७) सुबह उठकर पहिले संकल्प करे की आप दिन भर जो कुछ भी करेंगे शान्ति पूर्वक ढंग से करेंगे। सुबह की दिनचर्या में मॉर्निंग वॉक, स्नान, व्यायम ,भजन, पूजन, नाश्ता करके अपने काम पे लग जाए और रात को जब सब कार्य खत्म हो जाएंगे, तब सोते समय रोज ईश्वर को धन्यवाद करे और कहें की प्रभु आज आप की कृपा से पूरा दिन बहुत अच्छा गुजरा।  

८) आत्मप्रशंसा करने और सुनने की बुरी आदत से हमेशा बचे। 

९) निराभिमान, साधा और संतोषी जीवन ही सर्व श्रेष्ट माना गया है।  

१०) प्रतिकूल समय में भी कभी डरो मत, हमेशा ऐसे समय मन में सकरात्मक आत्मविश्वास पैदा करे। 

११) जीवन की कठिन समस्या को सुलझाने के लिए हमेशा पॉजिटिव्ह दृषिकोण होना चाहिए। 

१२) याद रखे सिर्फ चिंता करने से किसी भी परेशानी का हल नहीं निकलता, चिंता को त्यागकर चिंतन का मार्ग अपनाए। 

१३) दूसरों से कभी आशा अपेक्षा ना रखे और कभी भविष्य के बारे में विचार करके चिंतित ना हो।  

१४) लोग क्या कहेंगे ऐसा कुछ भी ना सोचे क्योंकि लोगो का काम ही हैं कुछ तो कहना।  

१५) दुसरोंसे छिपाना पड़े ऐसा कोनसा भी कार्य कभी ना करे क्योंकि वो एक अपराध है। 

मनुष्य का जीवन एक अद्भुत है जिसमें बहुत सारी चीजें अप्रत्यक्ष रूप से घटित रहती है। जीवन में सफलता इस में है की कभी किसी से अधीन ना हो।  जो जीवन दूसरों के सहाय्य रहकर जीते है उन्हें ज़िन्दा माना जाए तो मृत्यु क्या है।  इसका मतलब किसके अधीन होने से मृत्यु अच्छी हैं। भारतीय धरमग्रंथो में चार पुरुषार्थ कहे गए है - धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष। यह हमारी भारतीय संस्कृति की विशेषता है। अपने इधर हर व्यक्ति जीवन का निर्वाह करते हुए, अंत में मोक्ष की प्राप्ति को जीवन का परम लक्ष्य माना गया है।  जब कि पाश्यात्य देशों में विलास को ही जीवन का अर्थ और उद्देश्य समझा जाता है। 

कोई लोग जीवन को बड़े हल्के से लेते है। कुछ लोग पैदा होकर भोगों को भोगकर मरने को ही जीवन कहते है उन्हें लगता है की जैसे तैसे जीवन कट जाएगा। जीवन का आनंद तभी लिया जा सकता है जब हम सब जीवन के अर्थ और उद्देश को समझ लेंगे। जीवन का मार्ग तय करने के लिए भी हमे जीवन के अर्थ और उद्देश्य को समझ लेना पडेगा। दिशाहीनता केवल भटकाव पैदा करती है। जरा सोचिए की, 

हमारा जीवन दुःख पूर्ण क्यों है, उसका कारण है :- विवेकहीनता। 

बिना सोचे समझे जीवन की गाड़ी को चलाना, उसका कारण है :- अंधानुकरण करना। 

यदि हमें जीवन में सफल और सार्थक बनाना है तो हमे सयंम और आत्मानुशासन से अच्छाई को अपने जीवन में उतरना होगा। जीवन में ऐसा भी नहीं होना चाहिए की व्यक्ति पूरा वक्त सिर्फ काम करे, आराम भी जरुरी है, किन्तु परिश्रम के बिना किया गया आराम सुरु में तो सुखदायी मालूम होता है पर आगे बढ़कर आल्यस रूपी दु:खदायी बना जाता हैं। 

वास्तव में जीवन एक यात्रा है, इस यात्रा का आंनद लेना एक कला है जो हर कोई नहीं जानता, जो जानते है उनकी यात्रा सुखद होती है। जो लोग इस यात्रा का आंनद लेना नहीं जानते है, उन लोगों के लिए यह यात्रा बड़ी दु:खी और बोज जैसे होती है। जीवन को बोझ बनकर रोना बुद्धिमानी नहीं हैं। जीवन एक पौधे पर खिला उठा पुष्प है। जीवन बटन दबाते ही खींच जानेवाला फोटो नहीं है, यह उँगलीयों की कारीगरी  से धीरे धीरे बनने वाला चित्र है। 

जीवन का समय बहुत कम होता हैं और मृत्यु आना अनिवार्य है इसलिए हमेशा आप अपने आगे एक महान आदर्श खड़ा करें और उसके लिए अपना जीवन समर्पित कर दो। 

 









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