नवरात्रि : नौ दिन का त्यौहार जो दुर्गा माँ को समर्पित हैं।
नवरात्रि : नौ दिन का त्यौहार जो दुर्गा माँ को समर्पित हैं।
परिचय :- नवरात्रि देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। यह त्यौहार पुरे देश में आंनद और उल्हास के साथ मनाया जाता है। देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर की हार का जश्न मानाने वाला नवरात्री त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जित का प्रतिक है। भारत के कुछ हिस्सों में लोग नवरात्री के दौरान उपवास करते है और अंतिम दिन पूजा करके अपना उपवास तोड़ते है। नवरात्रि एक शक्तिशाली राक्षस महिषसुर और देवी दुर्गा के बिच हुई महान लड़ाई के बिच में बोलती है। नवरात्री महोत्सव हिंदू धर्म द्वारा नौ राते और दस दिन की अवधि में अक्टूबर / नवंबर के महीने में मनाया जाता है। लोग रातभर डांडिया और गरबा खेलते है। ये त्यौहार सभी हिंदुओ द्वारा मनाया जाता है और गुजरात समुदाय में इसका विशेष महत्व है।
नवरात्रि का इतिहास :- महिषासुर को एक शर्त के तहत भगवान ब्रम्हा द्वारा अमरता का आशीर्वाद दिया गया था, की शक्तिशाली महिषासुर को केवल एक महिला द्वारा हराया जा सकता है। तभी तीन शक्तिशाली देवता ब्रम्हा, विष्णु, महेश ने देवी दुर्गा को बनाया था। वो १५ दिन तक महिषासुर के साथ लड़ी और यह एक लड़ाई थी, जिसने पृथ्वी,स्वर्ग और नरक त्रिलोक को हिला दिया था। लड़ाई के दौरान, देवी दुर्गा को भ्रमित करने के लिए चतुर महिषासुर अपना रूप बदलता रहा। अंत में जब उसने भैस का रूप धारण किया, तब देवी दुर्गा ने अपने त्रिशूल से उसकी छाती में छेद करके तुरंत मार दिया।
नवरात्रि के दौरान खाया जाने वाला भोजन :- तला हुआ या उबला हुआ आलू, आलू चिप्स, बनाना चिप्स, मखाने की सब्जी, फल और फलों का रस, साबूदाने की खीर, दही, लस्सी.
नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के नौ अवतरोंको समर्पित होते है।
१) पहिला दिन :- नवरात्रि के पाहिले दिन माँ शैलपुत्री देवी की पूजा करते हैं। शैलपुत्री देवी हिमालय पर्वत की बेटी है। शैलपुत्री देवी नवरात्रि की पूजा की सबसे प्रमुख देवता है। शैलपुत्री देवी पार्वती माँ का अवतार है। वो एक हाथ में त्रिशूल और एक हाथ में कमल लेकर बैल नंदी की सवारी करती है। यह दिन का रंग लाल है - जो जोश का प्रतिक हैं।
२) दूसरा दिन :- नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रम्चारिणी देवी की पूजा करते हैं। ब्रम्चारिणी देवी भी माँ पार्वती का अवतार है। ब्रम्चारिणी देवी को कमंडल और जप माला पकड़े हुए दर्शाया गया है। यह दिन का रंग नीला है - जो शांति और शक्ति का प्रतिक है।
३) तीसरा दिन :- नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा देवी की पूजा करते हैं। शिव से विवाह के समय पार्वती के माथे पर अर्धचंद्र था। चंद्रघंटा देवी इस रूप का चित्रण है। यह दिन रंग पीला है, जो जीवंतिका प्रतिक है।
४) चौथा दिन :- नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा देवी की पूजा करते हैं। कुष्मांडा देवी को ब्रम्हांड में रचनात्मक शक्ति के रूप में जाना जाया है। इस देवी को शेर की सवारी करते हुए, आठ हथियारों से दर्शाया गया है। कुष्मांडा देवी भक्तों में निडरता का प्रसार कराती है। यह दिन का रंग हरा है।
५) पांचवा दिन:- नवरात्रि के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता देवी की पूजा करते हैं। स्कंदमाता देवी भगवान स्कंद और कर्तिकेय की माँ है। जब उसके बच्चें खतरे में होते है, तब स्कंद माता एक माँ की ताकत को दर्शाती है। स्कंदमाता देवी माँ ने अपने बच्चे के साथ, एक शेर को भी गोद में उठा रखा था ऐसा माना जाता है। यह दिन का रंग ग्रे हैं।
६) छठा दिन:- नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी देवी की पूजा करते हैं। कात्यायनी एक योद्धा देवी है और उन्हें चार भुजाओ के साथ दर्शाया गया है। वो शेर की सवारी करती है और साहस का प्रतिक है। यह दिन का रंग नारंगी है।
७) सातवाँ दिन :- नवरात्रि के सातवे दिन माँ महाकाली देवी की पूजा करते हैं। महाकाली देवी दुर्गा का सबसे हिंसक रूप माना जाता है। इस रूप में देवी सफेद पोशाक में दिखाई देती है और गुस्से में काली हो गई है। इसलिए इस दिन का रंग सफेद है।
८) आठवाँ दिन :- नवरात्रि के आठवे दिन माँ महागौरी देवी की पूजा करते हैं। महागौरी देवी इस दिन शांति और आशावादी को दर्शाती है। इसलिए इस दिन का रंग गुलाबी है।
९) नौवां दिन :- नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री देवी की पूजा करते हैं। सिद्धिदात्री देवी इस दिन सिद्धियों की शक्ति के साथ कमल पे विराजमान है। इसे सरस्वती का रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि वो ज्ञान और प्रकृति की सुंदरता को प्रसारित करती है। इसलिए इस दिन का रंग हल्का नीला है
निष्कर्ष :- नवरात्रि के दिन की गई प्रार्थना,जप,ध्यान हमे हमारी आत्मा से जोड़ता है। आत्मा के संपर्क में आने से हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। हमारे शरीर से नकारात्मक भावना के रूप में जो तनाव, आलस,घमंड सब नष्ट हो जाता है। अपना शरीर एक गहरे आराम का अनुभव करता हैं।
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